States Reorganisation Commission – राज्यों का पुनर्गठन :- आज के इस article में हम बात करने वाले है Indian Polity के बहुत ही important topic राज्यों का पुनर्गठन मतलब States Reorganisation Commission के बारे में | पिछले article में हमने Union and its territory (Article 1 to 4) के बारे में चर्चा किया था अगर आपने उस article को नही पढ़ा है सबसे पहले उसको पढ़ ले |
राज्यों का पुनर्गठन – overview
1947 में Indian Independence Act पास हुआ और इस act के तहत, india को divide कर दिया गया और साथ ही दो independent country बनाये गये एक इंडिया और दूसरा पाकिस्तान और इसके बाद कुछ Princely state (देसी रियासत) बच गये थे उनको तीन ऑप्शन दिए गए
पहला ऑप्शन तो ये दिया गया की वे या तो इंडिया को ज्वाइन कर ले या तो पाकिस्तान को ज्वाइन कर ले या तो यह इंडिपेंडेंट रहे उस समय 552 प्रिंसली स्टेट थे जिसमे से 549 प्रिंसली स्टेट, इंडिया में शामिल हो गए बाकी के 3 स्टेट, हैदराबाद जूनागढ़ और कश्मीर इंडिया में शामिल होने से मना कर दिया
26 जनवरी 1950 के समय केवल चार Categories के State थे – A, B, C, D
- A = 11 – British province (ब्रिटिश प्रांत)
- B = 8 – Princely state (देसी रियासत)
- C = 9 – Central (केंद्र शासित)
- D = 1 – Andaman and Nicobar
इसके बाद 1956 में एक Commission आता है जिसे States Reorganisation Commission कहते है
इस Commission ने A, B, C, D चारों Categories को समाप्त कर इसको दो Categories में Divide कर दिया –
- State
- Union territory
दूसरा, 1956 में ही 7th amendment (सांतवा संशोधन) पारित किया गया | इस amendment द्वारा भारत में 14 State(राज्य) और 6 Union territory (केंद्र शासित) प्रदेश बनाए गए |
राज्यों का पुनर्गठन States Reorganisation Commission
स्वतंत्रता मिलने के बाद, जब दक्षिण भारत में Language के आधार पर राज्यों की बटवारे की मांग होने लगी तो इस पर discussion करने के लिए डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने, इलाहाबाद high Court के Retired judge, श्याम कृष्ण धर (S.K धर) की अध्यक्षता में जून 1948 को Linguistic province commission के लिए एक चार सदस्यीय टीम की नियुक्ति की |
स्वतंत्रता मिलने के बाद, जब दक्षिण भारत में Language के आधार पर राज्यों की बटवारे की मांग होने लगी तो इस पर discussion करने के लिए डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद ने, इलाहाबाद high Court के Retired judge, श्याम कृष्ण धर (S.K धर) की अध्यक्षता में जून 1948 को Linguistic province commission के लिए एक चार सदस्यीय टीम की नियुक्ति की |
एस. के. धर Commission की Recommendation पर, तीन लोगों की एक committee बनाई गई, जिसमें J.V.P मतलब पंडित जवाहरलाल नेहरु, सरदार वल्लभ भाई पटेल और पट्टाभि सीतारमैय्या शामिल थे |
इन्होने Language के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग को एक स्वर में खारिज कर दिया|
दोस्तों इस committee की रिपोर्ट सामने आते ही मद्रास राज्य के तेलुगु-भाषियों ने, पोटी श्री रामुल्लू के नेतृत्व में आंदोलन शुरु कर दिया |
56 दिनों के आमरण अनशन के बाद सामाजिक कार्यकर्ता पोटी श्री रामुल्लू की मद्रास से आंध्र प्रदेश को अलग किए जाने की मांग को लेकर, 15 दिसंबर 1952 को मृत्यु हो गई | इससे आंदोलन और तेज हो गया जिसके बाद प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने तेलुगु-भाषियों के लिए एक अलग आंध्र प्रदेश राज्य बनाने की घोषणा कर दी, इस प्रकार 1 अक्टूबर 1953 को आंध्रप्रदेश, भाषा के आधार पर गठित होने वाला पहला राज्य बना और तब इसकी राजधानी करनूल थी |
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